1. "अनुवाद करना वास्तव में बहुत कठिन"
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Rabindranath Tagore, Lalla Babu Ki Vapsi Aur Dadi: Do Kahaniyan
2. "का चिन्ता मम जीवने यदि हरिर्विश्वम्भ्रो गीयते नो चेदर्भकजीवनार्थ जनीस्तन्यं कुथं नि:सरेत्। इत्यालोच्य मुहुर्महुर्यदु पते लक्ष्मीपते केवलं त्वत्पादाम्बुजसेवनेन सततं कालो मया नीयते।।"
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B.K. Chaturvedi, Chanakya Neeti
3. "वही सन तेरह सौ पैंतालीस का साल। जाने किस गिरजे की घड़ी में यंत्रयुग के स्वागत का घंटा बजा था। किंतु किसे पता था कि एक दिन वही घड़ी मध्ययुग के महाकाल के कल्पना सौंध को जमींदोज कर देगी? घंटा, मिनट और सैकंड में महाकाल को टुकड़े- टुकड़े करके समय के क्षय का अक्षय इतिहास तैयार करेगी? महाकाल की कल्पना को चूर चूर करके शायद इसी घड़ीने पहली बार यह बताया कि आकाश चूमते गिरजे की गुम्बदे, मस्जिदों की मीनारे, मन्दिरो के शिखर न तो शाश्वत है, न सनातन । उसने बताया- धर्म , देवता और ब्राह्मणों के रौब-दाब सब कल्पना है, छलना है, सत्य है सिर्फ पांवो तले जमीन और भले-बुरे मिलावटवाले मनुष्य। 'सर्वोपरि सत्य मनुष्य है' - यह बात चंडीदास से बहुत पहले कह गई है घडी। वह कह गई, सत्य केवल मनुष्य ही नही उसके चौबीस घंटे सत्य है, चौदह सौ चालीस मिनट सत्य है, छियासी हजार चार सौ सेकंड भी सत्य है। ~ साहब बीबी गुलाम"
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Bimal Mitra, साहब बीबी और ग़ुलाम