1. राम अपनी मनोव्यथा किसी को नहीं सुनाता ।/ मैं अपनी अंतर्वेदना किसे सुनाऊँ ?
1. "रात यूं दिल में तेरी खोई हुई याद आई जैसे वीराने में चुपके से बहार आ जाए जैसे सहराओं में हौले से चले बादे-नसीम जैसे बीमार को बेवजह करार आ जाए ।"
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Khushwant Singh, Khushwantnama: Mere Jiwan ke Sabak