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1. हम सांसारिक माया में फँसे हुए हैं। / माया दीपक नर पतंग भ्रमि-भ्रमि इवैं पड़ंत, कहें कबीर गुरु ग्यान ते एक आध उबरंत ।
1. मैं कहाँ इस झंझट में पड़ गई! ।
1. संत कबीर ने पाखंड पर तीखा व्यंग किया है ।
1. उसने छल से पूरी जायदाद अपने नाम करा ली । / वह अपने छल में कामयाब नहीं हुआ ।